उपभोक्ता और निर्माता की
मर्जी पर नहीं चलता बाजार
करता है काम एक तंत्र
जिसे कहते हैं प्रचार
सामान खरीदने वाले
कही रेडियो पर सुना हो
कही टीवी पर देखा को
कही पत्र-पत्रिका में पढा हो तब
बनाते अपने विचार का आधार
कभी कौन बनेगा करोड़पति
कभी इंडियन आइडियल
तो कभी चाहिए क्रिकेट का हीरो
उत्पाद बेचने के लिए
आजकल जरूरी है यह सब
नहीं तो सिमट जाता है जीरो
पर पूरा व्यापार
कहै दीपक बापू
आदमी की देह से ज्यादा
उसकी अक्ल पर काबू पाने के लिए
चल रही है विज्ञापन की जंग
जिसमें पैसे के अलावा कोई
किसी का साथी नही
कोई किसी के संग
साथ अपने अक्ल लेकर जाओ बाजार
ठगी से बच नही सकते
सस्ती चीज कही से ले नहीं सकते
किसी चीज की गारंटी भी नहीं उपचार
किसी चीज को खरीद कर ठग जाओ
तो भूल जाओ
मत करो पछतावे का विचार
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समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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3 years ago
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