Saturday, July 26, 2014

पत्थर और इंसानी बुत-हिन्दी व्यंग्य कविता(pattha aur insani but-hindi satire poem)




प्राणहीन पत्थर के बुत हैं
कितना भी पुचकारो
मगर कभी बोलते नहीं हैं।

ज्ञानहीन मांस के बुत है
कितना भी पुचकारो
अर्थ के बिना शब्द तोलते नहीं हैं।

पानी के प्रेम से पत्थर घिस जाते हैं,
मांस के पिंड कौड़ियों में ही पिस पाते हैं,
जज़्बातों में दिल खोलते नहीं हैं।

कहें दीपक बापू पूजने पर
पत्थर में परमात्मा के दर्शन संभव हैं
मगर जिनको मिला है
कुदरत से सांसों का तोहफा
बिना दाम लिये किसी के दर्द में
उम्मीद का रस घोलते नहीं है।
-----------

लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका 
७.ईपत्रिका 
८.जागरण पत्रिका 
९.हिन्दी सरिता पत्रिका

Wednesday, July 16, 2014

इंसान और उसकी शान-हिन्दी कविता(insan aur uski shan-hindi poem's)




प्रसिद्धि की खातिर कोई विद्वता का लबादा ओढ़ता
 कोई दूसरों को हंसाने के लिये बनता जोकर,
यह अलग बात है प्रचार में कोई नायक बनता
किसी के हिस्से आती केवल ठोकर,
सभी के लिये समय एक जैसा नहीं होता,
शब्दों का जादूगर अपना असर देखकर हंसता है,
जग को हंसाने वाला अकेले में अपने हाल पर रोता,
ज़माने का दिल बहलाते हैं लोग कमाने के लिये,
अपने अंधेरे से भागते दूसरों का देते जलाकर दिये,
कहें दीपक बापू गोल दुनियां में हालातों में डोलता इंसान
जिस शान पर इतराता बेबस हो जाता उसे खोकर।
----------------

लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका 
७.ईपत्रिका 
८.जागरण पत्रिका 
९.हिन्दी सरिता पत्रिका

Sunday, July 6, 2014

फैशन से तबाह समाज-हिन्दी क्षणिकायें(fashan se tabaf samaj-hindi short poem's)



अपनी हालातों से लाचार लोग दूसरों की ताकते हैं,
दौलत के पहाड़ पर बैठे लोग उसकी केवल ऊंचाई नापते हैं।
कहें दीपक बापू फैशन के नाम पर लोग कर रहे
अपनी जिंदगी से खिलवाड़
रौशनी के लिये लगा लेते अपने ही घर में आग
वह रोते है मगरं  तमाशाबीन उस पर हाथ तापते हैं।
---------
कन्या भ्रुण हत्या करते हुए थका नहीं समाज,
वर के लिये वधुओं के आयात की बात हो रही आज,
कहें दीपक बापू  लोग अपनी पुरानी सोच को
आधुनिक विज्ञान के साथ ढो रहे हैं,
बेजुबान पशु पक्षी की तरह जीना मंजूर कर लिया
मनुष्य शरीर है पर अक्ल खो रहे हैं,
अब बारी आ रही है जब नस्ल पर ही गिरेगी गाज।
-----------
तख्त पर जो बैठ जाये वही बुद्धिमान कहलाता है,
खामोश भीड़ सामने बैठती वह रास्ता बतलाता है।
कहें दीपक बापू कुदरत का नियम है बड़ो के बोले भी बड़े
छोटा वही ज्ञानी है जो अपने घाव खुद ही सहलाता है।
------------

लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका 
७.ईपत्रिका 
८.जागरण पत्रिका 
९.हिन्दी सरिता पत्रिका

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकाऐं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर