Monday, March 27, 2017

रोमियो को न रोईये मुंह ढंककर सोईये-छोटीकविताये एवं क्षणिकायें(Romeo ko n roiye munh dhankkar soeeye-HindoShrotPoem)

रोमियो को न रोईये
मुंह ढंककर सोईये।
शायरी बड़ी चीज है
लिख लिखकर बोईये।
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भोगी ने बेहाल किया
रोग ने दर्द दिया।
जे कौन जोगी आया
जिसने नया फर्ज दिया।
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तस्वीरों से ऊब जाओ
तब शब्द भी बोल दिया करो।
आंखें थकी हों दिल की सोच भी
तब खोल दिया करो।
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सबका भला कठिन है
हमने इसलिये तख्त नहीं मांगा है।
हैरान है यह देख
लालचियों ने अपने घर में टांगा है।
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दिल के कद्रदान
कभी ऊबते नहीं है।
मतलबपरस्त कभी जज़्बातों में
डूबते नहीं है।
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अपनी हंसी संभालकर रखना
हमारे दर्द में
दवा के काम आयेगी।
अपनी खुशी बनाये रखना
हमारा यकीन
बचाने में काम आयेगी।
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सर्वशक्तिमान का नाम का भी
व्यापार हो जाता है।
वहम के दरिया में 
कोई बंदा डूबता
कोई पार हो जाता है।
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