Thursday, September 20, 2007

नैतिकता की दुहाई देना बेकार

अपराधियों के पुलिस मुठभेड में
मारे जाने के समाचार प्रचार
माध्यमों मे छा जाते
पर उनके हाथों मारे गए
बेकसूर लोगों को भूल जाते
शायद अपराधियों के हाथ में
शक्ति के स्त्रोत होने का ही यह
परिणाम है कि हर दिन
अपराधों के बढते ग्राफ पर
हायतौबा मचाने वाले
रात को उनके गले मिलने जाते
उनकी ह्त्या की शिकार देहों की रूहें
उनका पीछा नहीं छोड़ेंगी
यह लोग समझ नहीं पाते हैं
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अपराधियों ने प्रचार माध्यमों की
वजह से ही हीरो की छबि पायी है
आज कोई दान, पुण्य और परोपकार
करने पर इज्जत नहीं पाता
लोग में जो डर और आतंक फैला दे
वही हीरो कहलाता
जिसने तलवार उठायी
उसने ही दमदार की छबि पायी
लोग खुद ही देते हैं उनको प्रोत्साहन
नैतिकता और मान-मर्यादा कि
बेकार है देना दुहाई
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