Saturday, January 30, 2010

मत बहको ऊंचे ठाठ देखकर-हिन्दी शायरी (amiron ke thath dekhakr-hindi comic poem)

दौलत की रौशनी से अमीर, अपनी महफिलें सजाते हैं,

गरीबों के दिल में लगे आग, इसलिये  चिराग जलाते हैं।

मत बहको ऊंचे उनके ठाठ देखकर, हमेशा धोखा खाओगे,

बेचने वाली शयों के, सौदागर ही पहले ग्राहक बन जाते हैं।

दरियादिल दिख रहे है, पर सारा सामान मुफ्त का सजा है

कहीं से चीज का मिला तोहफा, कहीं से पैसा जुटाते हैं।

घी से भरा उनका घर, मिलावटी तेल के कनस्तर बेचकर

मौत के मुख में भेजने पहले, जिंदगी का रास्ता बताते हैं।

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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Wednesday, January 27, 2010

प्यार, नफरत और दिल-हिन्दी व्यंग्य कविताएं (pyar,nafarat aur dil-hindi vyangya kavitaen)

राज रखकर ही राज

चलाये जाते हैं

सामने कर दुश्मनी के सौदे

बंद कमरे में दोस्तों में

बांटे जाते हैं।

जज़्बात मर गये हैं लोगों के

प्यार हो नफरत

दिल के अदंर तक नहीं पहुंचती

केवल जमाने को दिखाये जाते हैं।

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दिन भर दिखाते रहे

अपनी दुश्मनी जमाने को,

रात को चले दोस्ती निभाने को।

विज्ञापन का युग है

तारीफों पर अब लोग नहीं बहलते

इसलिये लोग चल पड़ते हैं

दोस्त के ही हाथ से अपने लिये गालियां लिखाने को।


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Sunday, January 24, 2010

उनके लिये देशभक्ति एक शय-हिन्दी शायरी (hindi shayri on deshbhakti)

स्वयं की है दौलत में आसक्ति,

वही सिखा रहे हैं सभी को करना

देश की भक्ति।



न आसमान गिर रहा है

न जमीन धंसक रही है

आम इंसान उनके रंगीन दृश्यों पर

कभी दृष्टि न डाले,

अपने अंदर खास होने के

कभी ख्याल न पाले,

इसलिसे उसे कभी सपने बेचकर बहलाते,

कभी सामने पर्दे पर

खौफ के मंजर भेजकर डराते,

रात की रौशनी से रोमांस करने वाले

दिन में पूरे जमाने को 

भरमाने में लगाते अपनी शक्ति।



जिनके लिये जज़्बात हैं, खाने का कबाब ,

उनके लिये पैसा ही है शराब,

असली खून पर उठाकर लाते बेचने आंसु,

नकली कामयाबी पर जश्न बेचते धांसु,

नारों को सोच बताकर बहस करते,

खाली वादों में ही

बड़े इंसानों की दरियादिली की हवस भरते,

ढेर सारे सामान लुटा लिये

फिर भी नहीं होती उनको विरक्ति,

जब नहीं होता सामान दुकान में

बेचने लगते हैं बाजार में देशभक्ति।

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Tuesday, January 19, 2010

चाहत और राहत-हिन्दी व्यंग्य कविता (chahat aur rahat-hindi vyangya kavita)

असुंदर को सुंदरता की,

भूखे को रोटी की,

और उदास इंसान को

मनोरंजन की होती है चाहत।

इसलिये सुंदर को

असुंदरता का अपमान देखकर,

अमीर को भूख के दर्द से

शाब्दिक हमदर्दी दिखाकर,

और मनोरंजन से थके इंसान को

उदासी की बातों से मिलती है राहत।

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Monday, January 11, 2010

देखें अपना चेहरा-हिन्दी शायरी (dekhen apna chehra-hindi shayri)

जो खुद टूटे हैं दिल से

वह क्या किसी को प्यार करेंगे,

फिर भी जरूरत पड़ी तो

दिखाने के लिये आखों में भरेंगे।



सभी दूसरों के अपमान पर खुश हैं

क्या किसी का सम्मान करेंगे

चाटुकारों की कमी नहीं है

सिक्के लेकर ताज सिर पर धरेंगे।



भूख प्यास से खौफ खाते लोग

क्या ईमान की जंग लड़ेंगे।

रोटी के एक टुकड़े से पेट भर जाये

पर वह बोरियां गोदाम में भरेंगे।

अपनी प्यास बुझ जाने पर भी चैन नहीं

दूसरा मरे, इसलिये समंदर से लड़ेंगे।



दूसरों पर छींटाकशी करने में सब आगे

अपनी नीयत देखने से हमेशा डरेंगे।

अपने दिल के आईने में देखें अपना चेहरा

तब दुनियां से कम, अपने से अधिक डरेंगे।


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Thursday, January 7, 2010

शहंशाह-हिन्दी शायरी (shanshah-hindi shayri)

जिसके सिर पर ताज का बोझ नहीं है,

काम करने का जिम्मा रोज नहीं है,

कान नहीं खड़े होते हमेशा

किसी का हुक्म सुनने के लिये,

जिसके हाथ नहीं मोहताज

किसी का जुर्म बुनने के लिये,

जिसकी आंखें नहीं ताकती

मदद के लिये किसी दूसरे की राह,

खुशदिल आदमी बोले हर समय ‘वाह’।

वही है असली शहंशाह।

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झुकते हैं वही सिर

जिन पर होता है ताज,

तलवार का वार झेलती  वही गर्दन

जो अकड़ जाती हैं करते राज

सफेल मलमल के सिंहासन के पीछे

डर और अहंकार का रंग है काला स्याह।

दौलत कमाने वाले नटों के

हाथ में डोर है

पुतले राज करते हुए कहलाते शहंशाह।



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