Saturday, September 15, 2007

हिन्दी दिवस पर कई लोग बोले

हिन्दी की दशा बहुत खराब

अंग्रेजी इलाकों एकदम शोचनीय

यह न बताया कि अपने इलाक़े में

कौनसी अंग्रेजी है पूज्यनीय
तुम उठो -बैठो अंग्रेजी के साथ
कौन करेगा हिन्दी में बात
कैसे हो सकती है हिन्दी वंदनीय

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एक लेखक ने दूसरे से कहा
'अंग्रेजी इलाक़े में हिन्दी की हालत

बहुत खराब है

चलो कुछ हिन्दी में पोस्टर

चिपकाये आते हैं

लोग आते - जाते पढेंगे

यहाँ तो हमारा लिखा कोई

पढता नही

जब भी देखो फ्लाप हो जाते हैं

दूसरा बोला

'यार, अपने इलाक़े में भी तो

अंग्रेजी की हालत खराब है

पर अंग्रेज कभी पोस्टर चिपकाने

यहाँ नहीं आते हैं

जो चल रही है

उसकी डोली भी देशी गुलाम

उठाएँ जाते हैं

फिर अच्छा हो कि हम

करें आत्म मंथन

कुछ अच्छा चिन्तन

यहीं के हिट हमें फलेंगे

वह अंग्रेज कभी हिन्दी नहीं समझेंगे

उनकी उम्मीद पर क्यों हम

में है बाजार वाद दर्शन तुम रहना

आशाओं पूरी दुनिया पूरी पूरीए दुनिया
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अपनी गाँठ के पूरी पूरी होता है

और रोटी का पेट से

मातृभाषा के प्रचार का प्रयास है व्यर्थ

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