हिन्दी दिवस पर लोगों के सुने उदगार
लेखकों से कहने लगे
हिन्दी के चिराग जला दो
सारे जगत में ज्ञान का प्रकाश
हम फैलायेंगे
ऊंची इमारत में रहने वाले
चारो ओर संपन्नता की
रोशनी में रहने वाले
कार में बैठकर टहलने वाले
गरीब लेखकों से कहते हैं कि
तुम हिन्दी के लिए
अपने प्रतिभा से रोज करो रचनाएँ
हमारे प्रकाशन में है ताकत
हम उन्हें तुमसे ज्यादा गरीबों में
सस्ती दरों पर पढ़वायेंगे
ज्ञान के चिराग तो बहुत आसान है जलाना
तुम माया के चक्कर में ना आना
घर में दिया न जलता हो
पर तुम ज्ञान का प्रकाश फैलाना
मिटटी के दिए की क्या कीमत
बाजार से खरीद लाना
तेल में क्या लगता है
किराने की दुकान से उधार लाना
रुई का क्या
अपने घर के कबाड़ से जुटाना
तू दान कर
अपनी मातृभाषा हिन्दी का नाम कर
हम नही लिखना जानते
इसलिये नहीं लिखते
शब्दों के शेर हम से नही सधते
माया तो ख़ूब है पर
व्याकरण का मायाजाल नहीं समझते
हम तो बाजार ही सजायेंगे
हम हैं प्रकाशन के स्वामी
और तू है हिन्दी का सेवक
क्या यह कम है तेरे चिराग
बाजार में चमकते नजर आएंगे
रोटी की चिन्ता मत कर
वह तो तुझे भगवान दिलवायेंगे
--------------------------
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
No comments:
Post a Comment