गद्दे और तकिये में रुई की जगह
नोट भरकर सोवें
ऐसे भाग्य तो किसी-किसी के होवें
मायापुत्र नॉट करें आर्तनाद
क्या हो गयी हमारे गत
हम तो दिन में बाजार में
चलने-फिरने वाले जीव
रात को कैसे जिन्दा लाशों को ढोवें
काश किसी सुन्दरी के पर्स में हौवें
यह क्या कि लोग दिन में हमारे लिए
करें हजारों पाप
प्यार से पुचकार घर लावें
और तकिया और गद्दों में भरकर हम पर सोवें
मायापति सोने के भी कोई
कम बुरे हाल न होवें
होना चाहिए गले और उंगली में
वही लग जाता है नल की टोंटी में
और लोग अपने अच्छे बुरे हाथ
उसका कान उमेठ कर धोवें
जिसे चमकना चहिये अपनी ख्याति के अनुरूप
होते हैं जिसके गह्रने शोरूम में
लोग उसके सामान को ऐसे देखे
जैसे चमकदार पीतल के होवें
वाह री माया तेरे खेल
कोई बेचता पीतल का सामान सोना बताकर
कहीं सोने को छिपाता पीतल जताकर
कहने वाले सही कह गये कि
अति सबकी बुरी होवें
चाहे माया के ढ़ेर ही क्यों न होवें
ख़ूब लगा लो अपने घर में
फूट जाता है भांडा जब
सर्वशक्तिमान डलवाता छापा
माया के रंग हो जाते बदरंग
भाग्य की रेखाएं टेढी होवें
-----------------
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
No comments:
Post a Comment