Thursday, April 23, 2009

रौशनी का वास्ता कब तक दिलाओगे-हिंदी शायरी (roshni ka vasata-hindi shayri)

तख्तियों पर लिखे शीर्षकों के तले
खड़े लोगों की भीड़ को
कब तक बहलाओगे।
इंसान की आदतों को
कब तक भीड़ में छिपाओगे।
टकराते हैं जब लोगों मे मतलब आपस में
तब जंग भी होती है
इंसान अपने लिये जागता है
पर भीड़ तो हमेशा सोती है
लोगों की भीड़ में ढूंढते हो
आदमी-औरत, गरीब-अमीर
और शोषक-शोषित
बांटकर उनको
तरक्की के रास्ते पहुंचाने का
दिखावा कब तब कर पाओगे।
बरसों से यही हाल है
जो आज दिख रहा है
जमाने ने देखा है तुम्हारा दौर भी
जब तुूम्हारे हाथ में था अलादीन का चिराग
तब भी तुमने कोई जादू नहीं किया
इस बात पर करना जरूरी है गौर भी
वादे करना और कसमें खाना
तुम्हारी पुरानी आदत है
पर जमाने को कब तक
खाली भरोसे पर बहलाओगे
अंधेरे में गुजारते हुए बरसों हो गये
खाली चिराग सजाकर
कब तब रौशनी का वास्ता दिलाओगे।

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Wednesday, April 15, 2009

खूबसूरत हमसफर भी लगते हैं बदसूरत-हिन्दी शायरी

शोला कहो या शबनम
मोहब्बत के जज्बातों के
इजहार में हर लफ्ज़ है कम।
मगर जिदंगी में सफर में
खूबसूरत हमसफर भी
लगते हैं बदसूरत
जब होते है सामने गम।
चैहरे को कब तक बनावटी सामान से
कितना चमकाओगे
उम्र के साथ फीके होते जाओगे
जला सके ताउम्र खूबसूरत कोई चिराग
जिस्म की मोहब्बत में नहीं है इतना दम।
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रंगबिरंगे कागज पर शायरी लिखने से
रंगीन नहीं हो जाएगी
शब्द को शोर करते हुए लिखने से
संगीन नहीं हो जाएगी।
रोते हुए उसके जज़्बातों से
वह गमगीन नहीं हो जाएगी।
ओ शायर!
जब तेरे अल््फ़ाजों में
तुझे तेरा अक्स दिखने लगे
तू हो जाये बेहोश
तेरे जज़्बात खुद लिखने लगे
तभी समझना कि तेरी शायरी
जमाने में रौशन हो जायेगी।

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Friday, April 10, 2009

जब तक अपनी नई सोच को खुद रौशन नहीं करोगे-हिन्दी शायरी

वहम और दिखावे से कैसे जंग लड़ोगे
इंसानी दिमाग की फितरत है
अच्छी हो या बुरी
किसी सोच की गुलामी करना
तुम खाली जुबां से कैसे जीतोगे
उस अंधेरे से
जब तक अल्फाजों की नई रौशनी नहीं भरोगे।

आदमी का दिल कितना भी दरिया हो
ख्यालों के दायरे उसके बहुत तंग हैं
चलते हैं उधार की सोच पर सभी
अपने अल्फाज़ नहीं तय करते वह कभी
दोस्त हो या दुश्मन
जो दिखाये सपने, होते उसी के संग हैं
रौशनी के चिराग बुझ जाते हैं
कितना भी बचो, अंधेरे फिर भी आते हैं
मंजिल का पता नहीं
रास्ते सभी भटके हैं
फिर भी उम्मीद पर
किताबी कीड़ों के घर पर लटके हैं
शायद वह कोई अल्फाज़ों से निकालकर
मंजिल का पता बता दे
कैसे बताओगे उनको
सही मंजिल और रास्ते का पता
जब तक तुम अपनी सोच को
खुद ही रौशन नहीं करोगे

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Monday, April 6, 2009

यादें और अहसास-हिंदी शायरी

उनके लिये
हमारे दिल में जगह खाली है
किसी कोने में।
उनकी यादें करती है अठखेलियां वहां
कोई अंतर नहीं पड़ता उनके पास न होने में।
अलग नजरिये ने कर दिये
दोनों के अलग अलग रास्ते
हमने दिल में बसा रखी उनकी तस्वीर
भले ही पराये हो गये उनके वास्ते
उनको परवाह हो न हो
इसकी फिक्र नहीं है
पर उनकी यादों को संजोये
रखने में एक अलग ही मजा है
भले ही यह बिछड़ना एक अनचाही सजा है
दिल में रखी
उनकी तस्वीर और यादों के मोल के आगे
तराशा गया हीरा पत्थर लगता है
लोहे का अहसास होता है सोने में।

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Sunday, April 5, 2009

बादशाह बनने की चाहत-हिंदी शायरी (hindi shayri)

हीरे जवाहरात और रत्नों से सजा सिंहासन
और संगमरमर का महल देखकर
बादशाह बनने की चाहत मन में चली ही आती है।
पर जमीन पर बिछी चटाई के आसन
कोई क्या कम होता है
जिस पर बैठकर चैन की बंसी
बजाई जाती है।

देखने का अपना नजरिया है
चलने का अपना अपना अंदाज
पसीने में नहाकर भी मजे लेते रहते कुछ लोग
वह बैचेनी की कैद में टहलते हैं
जिनको मिला है राज
संतोष सबसे बड़ा धन है
यह बात किसी किसी को समझ में आती है।
लोहे, पत्थर और रंगीन कागज की मुद्रा में
अपने अरमान ढूंढने निकले आदमी को
उसकी ख्वाहिश ही बेचैन बनाती है।

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Wednesday, April 1, 2009

अप्रैल फूल की बधाई-लघु हास्य व्यंग्य

आज अप्रैल फूल दिवस है। यह भी पश्चिम से आयातित एक विचार है कि अप्रैल के पहले दिन एक दूसरे को मूर्ख बनाया जाये-इसी कारण लोग एक दूसरे का मजाक उड़ाते हैं। वैलंेटाइन डे, फ्रैंड्स डे, प्रेम दिवस और न जाने कौन कौन से दिवस यहां भारत में मनाये जाते हैं। कुछ दिवस तो इतने गंभीर होते हैं कि लोग उस दिन गहरे चिंतन और चिंतायें व्यक्त करते हैं। नारी,पुरुष,बालक,वृद्ध और न जाने कौनसे वर्गों के लिये अनेक प्रस्ताव और विचार प्रस्तुत किये जाते हैं। मगर व्यंग्यकारों की आदत होती है हर विषय में अपने व्यंग्य प्रस्तुत करना। इसलिये हम भी बेतुकी हास्य कवितायें या व्यंग्य लिख देते हैं भले ही उनमें गंभीरता का भाव दिखाने के लिये डाल देते हैं ताकि लोगों को यह न लगे कि यह हर विषय को मजाक समझता है।
अन्य दिवसों की तरह अप्रैल फूल दिवस भी हमें नहीं जमता पर इसमें कहीं न कहीं मजाक का पुट लगता है इसलिये सोचा कि इस पर कुछ लिखा जाये। क्या लिखा जाये? तब हमने सोचा कि बाकी सभी लोग अन्य दिवस पर एक दूसरे को बधाई देते हैं-जैसे मित्रता दिवस, शुभेच्छू दिवस, प्रेम दिवस आदि-और हम मजाक बनाते हैं। आज मजाक का दिन है इसलिये थोड़ा गंभीर हो जायें। इसलिये सभी सहृदय मित्रों पाठकों और सम्मानीय लोगों को अप्रैल फूल की बधाई! वह इसी तरह पूरे साल हंसते रहे जैसे कि आज हंस रहे हैं। पूरे साल उनको ऐसे आइडिया मिलते रहे हैं कि उनके दिलो दिमाग में प्रसन्नता का भाव रहे।
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