Tuesday, March 22, 2016

विज्ञापन के नायक-हिन्दी कविता (Vigyapan ke Nayak-Hindi Kavita Hero Of Add-HindiPoem)

विज्ञापन के प्रभाव में
कभी कभी
तुच्छ इंसान भी
नायक बन जाते हैं।

संगीत के शोर में
बुरे स्वर के स्वामी भी
महान गायक बन जाते हैं।

कहें दीपकबापू दौलत से
गुण नहीं मिलते
पर खर्च करने से
नाकाम भी लायक बन जाते हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com


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Saturday, March 12, 2016

प्रकाशपुंज अंधेरे से हारते लग रहे हैं-हिन्दी कविता(Prakashpunj Andhere se harte lag rahe hain-HindiKavita)

शहर में खड़ी
आकर्षक इमारतों में
घर टूटे लग रहे हैं।

सड़क पर चलती
रंगबिरंगी कारों में
सवार सोते से जग रहे हैं।

कहें दीपकबापू आराम से
जीना भूल गया ज़माना
ढूंढ रहा सुख का खजाना
बृहद प्रकाशपुंज भी
अंधेरे से हारते लग रहे हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
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Wednesday, March 2, 2016

सवाल बवाल-हिन्दी कविता(Sawal Bawal-Hindi Kavita)

खामोश रहें तो
करते शिकायत 
हम नहीं सवाल करते हैं।

अपने शब्द कहें तो
अपने अर्थ लगाकर
बवाल करते हैं।

कहें दीपकबापू हृदय में
जिनके छाया अंधेरा 
प्रकाश मांगते उधार में
आदर्श की बातें करते
घर में ज़माने भर का
माल भरते हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
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