Wednesday, July 27, 2016

मौसम और मन के मिजाज-हिन्दी कविता (Mausam ki Mizaz-HindiShayari)

साथ चलते इंसान
परिंदों की तरह उड़ गये।

उनकी यादों ने 
कुछ देर परेशान किया
फिर नये राही जुड़़ गये।

कहें दीपकबापू हम भी
खड़े देखते रहे
मौसम और मन के मिजाज
धूप से लड़ने की ठानी
कभी छांव की तरफ भी मुड़ गये।
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Friday, July 15, 2016

अर्थ के बाग-हिन्दी कविता(Arth ke Baag-HindiPoem)

पर्दे पर रोज
पुराने चेहरे ही
कुश्ती करने आते हैं।

दंगे में शांति का
पर्व में क्रांति का शब्द
कान में भरने आते हैं।

कहें दीपकबापू वाणी से
कमाना जिन्होंने सीख लिया
उनके मुख से निकले वाक्य
अर्थ के बाग चरने आते हैं।
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