Saturday, May 2, 2009

आदमी का दिल कहार नहीं बन सकता-हिन्दी शायरी (admi ka dil kahar nahin hai-hindi shayri)

जिंदगी के इस सफ़र में
बिछडे साथियों का पता
किससे पूछें
सभी ढूंढ रहे हैं
अपने यार जो खो गए.

मगर फिर भी पूछते हैं
क्योंकि बात से बात निकलते ही
वही हमारे यार हो गये.

हर आदमी का दिल कहार नहीं बन सकता
जो यादों की डोली लाद कर चलता रहे
बिछडों की याद में हाथ मलता रहे
हमदर्दी लेकर दर्द बाटने वाले
जो लोग मिले, वही दिलदार हो गए..

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1 comment:

mehek said...

हर आदमी का दिल कहार नहीं बन सकता
जो यादों की डोली लाद कर चलता रहे
बिछडों की याद में हाथ मलता रहे
हमदर्दी लेकर दर्द बाटने वाले
जो लोग मिले, वही दिलदार हो गए..
waah bahut hi sachhi sunder baat keh di,bichadon ki yaad mein yada din nahi jiya jaa sakta.

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