Wednesday, May 6, 2009

जंग से अच्छा अमन है-व्यंग्य कविता (zang se achchha aman hai-vyangya kavita)

लुटता रहा पूरा शहर
मगर लोग देखते रहे।
‘खराब ज़माना आ गया है’
एक दूसरे से बस यही कहते रहे।

‘बचाने के लिये जंग कर
जान गंवाने या
शरीर पर जख्म लेने से
अच्छा अमन है’
यही सोचकर आपस में हंसते रहे।

फिर भी
आसमान की तरफ देखकर
वहां से किसी फरिश्ते के जमीन पर आकर
खुद को बचाने की उम्मीद में
इंसान खामोशी से जमीन पर कटते रहे।।

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हिंदी साहित्य,मनोरंजन,हिंदी शायरी,शेर,समाज
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