जो खुद टूटे हैं दिल से
वह क्या किसी को प्यार करेंगे,
फिर भी जरूरत पड़ी तो
दिखाने के लिये आखों में भरेंगे।
सभी दूसरों के अपमान पर खुश हैं
क्या किसी का सम्मान करेंगे
चाटुकारों की कमी नहीं है
सिक्के लेकर ताज सिर पर धरेंगे।
भूख प्यास से खौफ खाते लोग
क्या ईमान की जंग लड़ेंगे।
रोटी के एक टुकड़े से पेट भर जाये
पर वह बोरियां गोदाम में भरेंगे।
अपनी प्यास बुझ जाने पर भी चैन नहीं
दूसरा मरे, इसलिये समंदर से लड़ेंगे।
दूसरों पर छींटाकशी करने में सब आगे
अपनी नीयत देखने से हमेशा डरेंगे।
अपने दिल के आईने में देखें अपना चेहरा
तब दुनियां से कम, अपने से अधिक डरेंगे।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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