Sunday, August 26, 2007

हीरो को मिली जेल, प्रियतम प्यार में फेल

एक ही हीरो की फिल्म देखने और
गाने सुनने के शौक़ ने उन दोनों को
आपस में मिलवाया
फिर तो उन्होने फ़िल्मों जैसा ही
प्रेम प्रसंग रचाया

हीरो के जन्म दिन पर
प्रियतम ने प्रेयसी को
फेवरिट हीरो की फिल्मों की
सीडी अपने पहले उपहार के रुप में दीं
और उसने फिल्म में दिया था जैसा
सोने का हार वैसा ही उसे पहनाया
दोनों ने एक होटल में
केक काटकर जश्न मनाया

उसकी हर फिल्म
पहले दिन पहले शो में देखी और
हर गाने पर शोर मचाया
जब प्रेम फिल्मों जैसा था
तो फिल्म जैसी समस्या भी आनी थी
और वह दिन भी आया जब
हीरो को उसके काले कारनामों ने
सीधे असली जेल भिजवाया
प्रियतम तो गया संभल पर
प्रियतमा का हृदय घबडाया
और उसने जेल के बाहर जाकर
अपना डेरा जमाया

इधर प्रियतम ने रोज मिलने के
ठिकाने से जब उसे नदारद पाया
तो बहुत घबडाया
उसने अपनी प्रेयसी के मोबाइल पर
कई बार बजाई घंटी पर उसे बंद पाया
इधर-उधर ढूँढता रहा
अखिर जेल के दरवाजे से
हीरो का दर्शन किये बग़ैर लौटे
उसके ऐक मित्र ने उसे
प्रेयसी का पता बताया


वह वहां पहुंचा तो
अपनी प्रियतमा को गम में डूबा पाया
उसे देखते ही वह बोली
'तुम मुझे प्यार करते हो तो
अन्दर जाकर हीरो का पता लगाओ
उसका हाल जानकार मुझे बताओं'

प्रीतम बोला
'उसे अपने कर्मों का फल भोगने दो
उससे हमारा अब क्या वास्ता
अब उसे तुम भूल जाओ तुमने तो
अब मुझे अपना हीरो बनाया
बिना अपराध के अन्दर जाना संभव नहीं
सरकार ने कानून ही ऐसा बनाया'

प्रेयसी को गुस्सा आ गया और बोली
'मुझे इससे मतलब नहीं है
मुझे तो बस हीरो के दर्शन करने हैं
आज तुम्हारे इम्तहान का समय आया
उस हीरो की वजह से तुम्हारा और मेरा मिलन हुआ
जिसे किस्मत ने सींखचों के पीछे पहुंचाया'

जब प्रियतम ही अपनी जताई असमर्थता
तब वह बोली
'हीरो गया जेल और तुम्हें उस पर
बिल्कुल भी तरस नहीं आया
मैंने तो उसकी तस्वीर तुम में
देखकर ही तुमसे प्यार रचाया
उसके समर्थन में देखो कितने
लोगों ने आवाज उठाई है और तुमने
ऐक भी नहीं लगाया नारा
तुम प्यार के इम्तहान में फेल हो गये
आज मैंने तुम्हें आजमाया'


बहुत समझाने पर भी वह नहीं मानी
तब प्रियतम को भी गुस्सा आया और बोला
'अच्छा ही है जो तुमने
अपना असली रुप दिखाया
नकली हीरे को असली समझकर
उसमें दिल लगाने की बात मेरे
समझ में भी नहीं आयी
परदे की हीरो जिन्दगी के विलेन
अभिनय कें दिखाएँ बहादुरी और जिन्दादिली
हकीकत में कमजोर और बेरहम
लिखे डायलाग बोलने वाले
क्या बेजुबानों की भाषा समझेंगे
उनके चाहने वालों की बुद्धि पर
तो मुझे शक होता है
अच्छा ही उसे मिली जेल
मैं हुआ प्यार में फेल'
ऐसा कहकर प्रियतम अपने घर चला आया

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकाऐं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर