किसकी सोचें, क्या और साथ गम नहीं हैं.
आसान है धोखा देना,इसलिए सब देते
वफादारी निभाने का सब में दम नहीं है.
गंदे अल्फाज़ बोलना, बन गया है रिवाज़
बोलकर दिखाते सब कि वह बेदम नहीं है.
उसूलों के दिखावे में माहिर हैं सब लोग
पैसा लूटना किसी से, अब सितम नहीं है.
उनको सलाम, रोशन करते ईमान का दीपक
जमाने को दिखाते कि सब जैसे हम नहीं है.
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1 comment:
बिल्कुल सही कहना है आपका !!
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