अपना दर्द यूं जमाने को न दिखाओ
दवा देकर इलाज करने वाले
हर जगह नहीं मिलते हैं।
जो अल्फाजों की जादूगरी से
जख्मों का बहता खून चूस लें
इस जहां में
जुबानी हमदर्दी के ऐसे सौदागर भी मिलते हैं।
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चक्षुहीन करते प्रकृति सौंदर्य का बखान
बहरे सिर हिलाते, सुनकर कोई भी गान
पैसे से प्रायोजन की महिमा होती अपरंपार
गूंगे गाते कविता, मूर्ख बताते वेदों का ज्ञान।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
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3 years ago
1 comment:
"ज़ुबानी हमदर्दी के ऐसे सौदागर " का जवाब नही ।
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