Saturday, September 19, 2009

मिस काल-हास्य व्यंग्य कविताएँ (miss call on mobile-hinde hasya kavitaen)

माशुका अब आशिक के लिये
हो गयी है मिस काल।
वह घंटी बजाकर बंद करती है
फिर करता है आशिक उसे काल।
वह भी क्या करे
आशिक ने जीवन भर सुनने के लिये
मोबाइल तो दिया
मगर अब नहीं भरवा कर दे रहा वार्तालाप समय
कोई पुरुष ‘मिस काल’ बनकर
इश्क की चोरी न कर ले
उसको भी लगता है भय
जब भी कहती है
वार्तालाप समय भरवाने को माशुका
मंदी का बहाने से आशिक देता है टाल।
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सच मोबाइल से रिश्ते निभाने में
सभी को सुविधा हो गयी है
पर बेशर्म बन करें जो मिस काल
उनको कोई परवाह नहीं है
पर पानीदार को वापस करना ही पड़ता है काल
चाहे अनचाहे बात करना दुविधा हो गयी है।
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मोबाइल से रिश्ते
अधिक प्रगाढ़ हो गये लगते
क्योंकि चाहे जब बात करो
दूर बैठे अपने, बहुत पास लगते।
जब तक मिस कालों का
जवाब देते रहो सभी को लगता है अच्छा
न करो तो
कंजूस कहकर इज्जत का नाश करते।
............................
एक दोस्त ने कहा
‘यार, देखो में कितना तुम्हें याद करता हूं
दिन में कितनी बार तो मिस काल करता हूं
एक तुम हो कि जवाब नहीं देते।’
दूसरे ने कहा
‘हां, मैं भी तुम्हें बहुत याद करता हूं
जब तुम्हारा मिस काल आता है
तुम्हारे लिये आहें भरता हूं
वार्ता समय नहीं मेरे मोबाइल में
वरना हम दोनों ही बात कर लेते।’

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