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उन्होंने धोखा दिया
इस पर क्यों अब आसू बहाते हो?
अपनों से ही होता है धोखा
दुनियां का यह कायदा क्यों भूल जाते हो।
उनके वादे पर रख दिया
अपना सारा सामान उनके घर,
कोई सबूत नहीं था
उनकी ईमानदारी का
यकीन किया तुमने उन पर मगर,
अपने बेबुनियाद विश्वास को छिपाकर
उनके धोखे की कहानी
पूरे जमाने को क्यों सुनाते हो।
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उनको महल में पहुंचा दिया
इस विश्वास पर कि
वह हमारी झौंपड़ी सजा देंगे।
यह नहीं सोचा
वह भी इंसान है हमारी तरह
याद्दाश्त उनकी भी कमजोर है
वहां मुद्दत बाद मिले सुख में
अपने भी भूल जायेंगे दुःख के दिन
हमारे कैसे याद करेंगे।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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