अपने दर्द का बयां न
कभी न करना
बन जायेगा तमाशा।
अपनी ही गमों ने लोग हैरान हैं
अपनों की करतूतों से परेशान है
कर नहीं सकते किसी की
पूरी आशा।
किसी को इंसान को
कुदरत हीरे की तरह तराश दे
अलग बात है
इंसानों ने कभी नहीं तराशा।
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सर्वशक्तिमान से मोहब्बत नहीं होती
पर उसकी इबादत की जाती।
पीरों ने बनाये कई कलाम
गाने के लिये
तमाशा जमाने के लिये
पर सच यह है कि
दिल में है जिसकी जगह
उसकी असलियत
जुबान से बयान नहीं की जाती।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwaliorकभी न करना
बन जायेगा तमाशा।
अपनी ही गमों ने लोग हैरान हैं
अपनों की करतूतों से परेशान है
कर नहीं सकते किसी की
पूरी आशा।
किसी को इंसान को
कुदरत हीरे की तरह तराश दे
अलग बात है
इंसानों ने कभी नहीं तराशा।
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सर्वशक्तिमान से मोहब्बत नहीं होती
पर उसकी इबादत की जाती।
पीरों ने बनाये कई कलाम
गाने के लिये
तमाशा जमाने के लिये
पर सच यह है कि
दिल में है जिसकी जगह
उसकी असलियत
जुबान से बयान नहीं की जाती।
http://dpkraj.blogspot.com
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