Thursday, September 10, 2009

नोट पहले क्यों नहीं दिखाया-हास्य व्यंग्य कविता (rupya aur iman-hasya vyangya kavita)

आम आदमी उस कार्यालय पहुंचा तो
सभी के कानों में मोबाइल का तार लगा पाया।
सुन रहे थे सभी गाने
उसके समझ में कुछ नहीं आया।
वह बोलता रहा कुर्सी पर बैठे अधिकारी से
पर उसे अपनी तरफ नहीं देखता पाया।
आखिर उसने जेब से
पांच सौ का नोट दिखाकर उसे दिखाया।
उसे देखते ही अधिकारी ने कान से तार निकाली
और बोला
‘अरे, भई बताओ कौनसा काम है
यह नोट पहले क्यों नहीं दिखाया।’

....................................
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4 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

नोट सिर्फ दिखलाने से नहीं चलता है काम
इसलिए इसकी व्‍यवस्‍था करने में भूल गए हम सारे काम।

इसलिए नहीं दिखाया।
अब समझ में आया।

Admin said...

बेहतरीन!

संजय तिवारी said...

लेखनी प्रभावित करती है.

ACHARYA RAMESH SACHDEVA said...

FONT PROBLEM FOR ONLY YOUR BLOG
SO WHAT TO COMMENT
ACHCHHA H.

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