इंसान को बहुत सताते हैं।
जिस्म के लिये तो मिल जाती मरहम
दिल का इलाज तो शब्द ही कर पाते हैं।
कुछ जमाने की सुनो,कुछ अपनी कहो
कई दर्द आवाज में खुद ही बह जाते हैं।
अपने ही दर्द पर हंसना आसान नहीं
पर करते हैं जो ऐसा, अपने बयां खूबसूरती से सजाते हैं।
दुनियां में दर्द के सौदागर भी बहुत हैं
फिर हम अपने दिल की बात क्यों छिपाते हैं।
आओ बाजार चलें इससे पहले कोई चोरी कर जाये
लोगों के सामने अपना दर्द खुद ही सजाते हैं।
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1 comment:
बहुत बढ़िया!
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