इनाम यहां यूं ही नहीं मिल जाते हैं
भीख मांगने का भी होता है तरीका
लूटने के लिये भी चाहिए सलीका
लोगों की नजरें अब देख नहीं
जब कहीं बवंडर नहीं होता
समंदर भर आंसु बहाकर
जब तक कोई नहीं रोता
काबलियत को कर दो दरकिनार
फरेबी भी बदनाम होकर भी
यहां नाम तो पा जाते हैं
शौहरत होना चाहिये
अच्छा बुरा आदमी भला
लोग कहां देखने आते हैं
अगर नहीं है तुम्हारा झूठ का रास्ता
तो नहीं हो सकता इनाम से वास्ता
अपनी नजरों से न गिरो यह भी कम नहीं
देखने और कहने वालों का क्या
इंसानों की याद्दाश्त होती कमजोर
पल भर को देखकर फिर भूल जाते हैं
भलेमानस इसलिये ही
अपनी राह चले जाते हैं
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