Thursday, December 31, 2015

खरीखोटी नीयत-हिन्दी कविता(KhariKhoti Neeyat-Hindi Kavita)

ज़माने के हालात वही रहे
तारीख बदल जाती है।

वादे सुनते हुए
निकाल दी जिंदगी
जुबान देने वाली
सूरतें बदल जाती हैं।

कहें दीपकबापू विश्वास से
नाता टूटे बरसों बीते
खरे सिक्कों की नीयत भी
खोट में बदल जाती है।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com


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