Friday, December 4, 2015

सुंदर लगे जब तक बोले नहीं-दीपकबापूवाणी (Sundar lage jab tak bole nahin- DeepakBapuWani)


चाहें तो शब्द लिखें चाहे बोलें, सौदागरों से बाज़ार में दाम तोलें।
‘दीपकबापू’ बेच रहे रचना बाज़ार में, अमृत की जगह विष घोलें।।
-------------------
महिला अधिकारों की बात करें, शोषण के रंगों से अपनी रात भरें।
‘दीपकबापू’ शोहदे बना देते प्रहरी, इज्जत पर जो हमेशा घात करें।।
-------------------
सुंदर लगे जब तक बोले नहीं, मधुर लगे जब तक मुंह खोेले नहीं।
‘दीपकबापू’ सूरत पर हैं फिदा, वहम रहे जब तक सीरत तोले नहीं।।
------------------
सहिष्णुता बाज़ार में बिकने की शय, दाम घटने बढ़ने की चली लय।
‘दीपकबापू’ मनोरंजन के व्यापारी भी, हृदय के भाव करने लगे तय।।
.....................
आंसुओं का भी हो रहा व्यापाार, लाभ मिले लोग रोते बिना मार।
‘दीपकबापू’ हंसी के बड़े सौदागर, रुपये लेकर बने कातिलों का यार।।
----------------
ज़माने में खौफ का माहौल बताकर, अमन में अपना घर बसा रहे।
‘दीपकबापू’ सोचें हम पायें चैन, बाकी ज़माना झगड़ों में फसा रहेे।।
---------------
आदमी कभी देवता नहीं होता, प्रचार कराये अलग बात है।
दीपकबापू पालें ताकत का भ्रम, घबड़ाते जब आती रात है।।
.................................
साधु राजा की जात न होय, जो सर्वजन के साथ बंधु वही होय।
‘दीपकबापू बयान बतायें ऊंचे, बहीखाते में एक परमार्थ न होय।।

नरनारी की प्रेमकथा दिखायें, आस्था में अंधविश्वास करना सिखायें।
दीपकबापू रुपये को इष्ट माने, रुपहले पर्दे पर देव जैसा रुप दिखायें।।
--------------------

स्वांग रचकर जो अमीर होये, पसारे पांव वहीं जहां ज़मीर सोये।
दीपकबापू नकली तलवार हाथ में, चित्र के नायक कहां वीर होये।।
-----------------

लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com


यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका 
७.ईपत्रिका 
८.जागरण पत्रिका 
९.हिन्दी सरिता पत्रिका


No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकाऐं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर