किसे क्या समझायें,
भला कोई किसी को समझा पाया है,
किसको कैसे मनायें
भला कोई किसी को समझा पाया है।
पूरा ज़माना वहम में जीने का आदी है
दूर उससे सच का साया है,
बेहतर है खामोश हो जायें
या तटस्थ होकर देखते रहें,
विद्वानों ने यही मार्ग बताया है।
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किसको कैसे मनायें
भला कोई किसी को समझा पाया है।
पूरा ज़माना वहम में जीने का आदी है
दूर उससे सच का साया है,
बेहतर है खामोश हो जायें
या तटस्थ होकर देखते रहें,
विद्वानों ने यही मार्ग बताया है।
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