भ्रष्टाचार एक भूत है
जो कभी नहीं मिटता,
क्योंकि कभी नहीं दिखता।
जिसकी जेब में जाता पैसा
वह हक की तरह रखता,
जिसकी जेब से जाता
वह भी कहीं अपना दांव तकता,
ज़माने ने बंद कर ली आंख
हर दौलतमंद को सबका सलाम मिलता यहां
भरे बाज़ार में ईमान कौड़ी के भाव बिकता।
जब नहीं लगा मोल
तभी तक हर कोई उसूलों पर टिकता।
चला जो अमीर बनने की राह पर
इंसानियत का हिसाब भी पैसों में लिखता।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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3 years ago
2 comments:
खूबसूरत प्रयास
तुमने तो पोल खोल दि गुरु,बधाई हो
।
->सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का साक्षात्कार पढने के लिऐ यहाँ क्लिक करेँ
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