Thursday, February 18, 2010

शब्द और अनुभूति-हिन्दी कविता (shabd aur anubhuti-hindi poem)

कब तक तस्वीरों को देखकर
अपना दिल बहलायें,
चेहरों की आखों से पढ़कर
शब्द अपनी समझ से तय कर
दिमाग में सजायें।
इससे तो अच्छा है कि किताबों में
शब्द पढ़कर तस्वीरों के अहसास पायें।
तस्वीरें कितना बोलेंगी,
आंखें कैसे शब्दों को तोलेंगी,
चेहरे स्तब्ध करते हैं
आंखों में आश्चर्य भरते हैं,
दिल की गहराई तक तो
शब्द ही अनभूति पहुंचायें।
इसलिये फुरसत में अपने आगे
किताबों की ही सजायें।

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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1 comment:

रानीविशाल said...

सुन्दर रचना...आभार!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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