मतलब के लिए इंसान
अपना दिल इस तरह बदल जाते
कि आखें होती तो
बेपैंदी के लोटे भी देखकर शर्माते।
जुबान होती तो
एक दूसरे पर इंसान होने का शक जताते।
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नब्बे फीसदी सांप
जहरीले नहीं होते
यह विशेषज्ञ ने बताया।
तब से इंसानों की सांप से
तुलना करना बंद कर दिया हमने
क्योंकि सांप के डसने से
कई लोगों को बचते देखा
पर इंसानों के धोखे से बचता
कोई नज़र नहीं आया।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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