Tuesday, March 10, 2009

सभी को याद करना पर हमें भूल जाना-हिंदी कविता (holi par hamen bhool jana-hindi kavita)

होली के रंग खूब खेलना
पर हमारी तरफ नहीं ठेलना।
जमाने के रंग हर बार फीके होते देखे हैं
रंगीन चेहरों के भी तेवर तीखे देखे हैं
दिलो दिमाग मे जलती है आग
उसी से रौशन है हमारा चिराग
बुझ जायेगा, पानी की बूंदों में
रंग डालकर होली हमारे साथ मत खेलना ।

हमारा चेहरा उदास देखकर
उस पर कोई रंग पोतकर
चमक लाने की कोशिश बेकार होगी
जनम से ही चिंतन के रोगी
पैदा कर लेते हैं ख्यालों के रंग
बाहर के रंगों से
भला उन पर क्या रौनक होगी
खेलते हुए कम पड़ जायें तो
रंग हम से उधार ले लेना।

आदत हो गयी है अपनी उदासियों के साथ जिंदा रहने की
अपने पीठ पीछे निंदा सहने की
अपनी बात कहना आया नहीं
दूसरे का कहा कभी भाया नहीं
पहले कितने भी चमके
पर बाद में फीके पड़े गये रंग
कितना भी खेला हो इंसान
पर बढ़ा नहीं उसकी सोच का दायरा
दिमाग रहा हमेशा तंग
प्यासे हैं बरसों के
एक दिन होली खेलने से मन नहीं भरेगा
प्यास बढ़ गयी अरमानों की तो
कौन उनको पूरा करेगा
बेरंग हो चुकी हमारी जिंदगी में
कोई रंग अब नहीं भरा जा सकता
अकेले में उदासी ही हमारा रंग है
तुम खुशनसीब हो जो भीड़ में
अपने लिये खुशियां तलाश लेते हो
दुआ है हमारी अधिक से अधिक सहेज लेना।

सभी को याद करना पर हमें भूल जाना
पसंद नहीं है किसी की यादों पर जाकर उसे सताना
खूब उड़ाना रंग और गुलाल
पर हमारी तरफ नहीं आना
बेरंग होती जा रही हमारी जिंदगी
में अपना पांव नहीं फंसाना
यकीन करो अकेले में
अपने उदासी के रंगों से खेलना
हमें बहुत भाता है
तुम डर जाओगे वह देखकर
इसलिये बीच बाजार होली हमें भुलाकर खेलना

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1 comment:

विजय गौड़ said...

होली की बहुत शुभकामनायें.

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