‘मां टीवी पर धारवाहिकों में
सभी के दादा दादी तो बहुत जवान होते है।ं
सभी के बाल होते हैं काले
चेहरे होते हैं गोरे
हमेशा रहते वह सजे संवरे
पोतों को प्यार करने
दौड़ते है उनको गोदी में उठाने बहुत जल्दी
जब वह रोते हैं
अपने दादा दादी तो बस बीमार होकर सोते है।
उनके बाल भी हो गये सफेद
हमेशा पुराने कपड़े पहने रहते हैं।
प्यार करते हैं बहुत कम
कभी भी उनके उनके चेहरे
टीवी वाले दादा दादी जैसे नहीं होते हैं।
मां ने कहा-‘
बेटे! टीवी देखकर भूल जाया करो
वहां सब काल्पनिक दृश्य और
लोग नकली होते हैं
अभी तू दादा दादी के लिये कह रहा है
कल मां बाप के लिये भी यही कहेगा
क्योंकि वह भी कभी बूढ़े नहीं होते हैं
हमने पाया है एक दूसरे को जन्म से
पर्दे पर रिश्ते पैसे लेकर बने होते हैं
इसलिये सभी के चेहरे प्रफुल्ल होते है
जिंदगी की है कठिन डगर
उसे पर्द से कभी नहीं मिलाना
क्योंकि हम जी रहे हैं हकीकत में
पर्दे पर तो बस ख्वाब ही होते है।
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