Friday, April 3, 2015

गम भुलाने के बहाने भी लूट लेते हैं-हिन्दी व्यंग्य कविता(gam bhulane ke bahane bhi dhoondh lete hain-hindi satire poem)


अपने अपने भाग्य का
हिस्सा  सभी बड़े मजे से
लूट लेते हैं।

सर्वशक्तिमान की कृपा हो तो
अपने काम से बचने की भी
छूट लेते हैं।

कहें दीपक बापू अधिकार पर
सभी दावा करते हैं,
अपने कर्तव्य की बात से
बेहद डरते हैं,
अमीरों का दबदबा ऐसा
सर्वशक्तिमान के दरबार में दर्शन
मयखानों में मय पीने के लिये
गरीबों के गम भुलाने के बहाने भी
लूट लेते हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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