Sunday, December 5, 2010

शब्द और दलाली-हिन्दी कवितायें (shabd aur dalali-hindi kavitaen)

कलमकार भी अब
सत्ता के दलाल हो गये,
ईमानदारी और नैतिकता
दो शब्द हैं जो नारे बने
जिनको अपनी कलम से
जिंदगी देने का दावा करते थे झूठा
यह दोनों ही नये धंधे में हलाल हो गये।
----------
उधार के शब्दों ने
उनको कलम का धनी बना दिया,
जो सत्ता की गली में घुसे
उनकी छवि को
दलाली की वसूली ने
उनकी छवि को कीचड़ में सना दिया।
शब्द तो एक छलावा था उनके
जिसके सहारे चढ़ना था सीढ़ियां,
हम तो समझे थे कि
इतिहास में उनके शब्दों की
शामिल होंगी कई पीढ़ियां,
क्या मालुम था वह कर रहे हैं छलावा,
उनको रचनाकार मानने पर होगा पछतावा,
अपनी नीयत में दलाली के धंधे को
उन्होंने अपनी मंज़िल बना लिया।
---------

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
---------------------------
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

4.दीपकबापू कहिन 
५.हिन्दी पत्रिका 
६.ईपत्रिका 
७.शब्द पत्रिका 
८.जागरण पत्रिका 
९.हिन्दी सरिता पत्रिका 

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकाऐं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर