लोग जलाते हैं जो चिराग
वह उसे बुझा देते हैं,
रौशनी के दलाल
अपनी दलाली के लिये
करते हैं अंधेरों का सौदा
रात के अंधेरे में चमकता
कोई तिनका भी राह में दिख जाये
उसे भी पत्थरों के नीचे दबा देते हैं।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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