विश्वास नहीं होता
कभी बनते हैं
कभी मिटते हैं
दृश्य तो पलपल बदलते हैं।
सामने से गुजरते हुए
जिंदा इंसान और सामान
अपने अस्तित्व का देते आभास
पर अगले पल नहीं होते पास
किसको यकीन दिलायें कि
यह हमने देखा था, वह नहीं
घूमते सूरज और चांद
जगह बदलती है यह धरती
जिनके होने का अहसास
सुखद अनुभूति देता है
वह भी मिट जाते हैं
जिनसे होता कष्ट
वह भी नष्ट हो जाते हैं
रंगरंगीली इस दुनियां में
रंग भी अपना रंग बदलते हैं
कुछ देर ठहर जायें सुनहरे पल
यह ख्वाहिश करना बेकार है
वह भी किसी के इशारे पर चलते हैं
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