उसने कहा था कि मुझे अपने पाठ में उस हैकर के लिये अभद्र शब्द लिख कर एक पाठ डालना चाहिये और फिर उस पाठ को हटा देना चाहिये या फिर उसकी वेबसाइट को चोर बताते एक पाठ लिखना चाहिये। उसे धमकाना चाहिये। आदि आदि।
इधर कई दिनों से देख रहा था कई लोग मुफ्त का माल समझकर मेरे पाठों को उठाये जा रहे थे। कहना यह चाहिये कि उन्होंने अपने साफ्टवेयर इस तरह बनाये हैं कि वह एक जाल बन गये हैं और जब हम अपना पाठ प्रकाशित करते हैं तो वह एक अंतरिक्ष में अपने शब्दों के साथ उठ रहा पाठ पंछी की तरह उनके इस जाल में फंस जाता है। बहरहाल उस ब्लागर की बात ने मेरे दिमाग में एक विचार घुसा दिया। मैंने अपने पाठ में अपने उस ब्लाग/पत्रिका के साथ अन्य ब्लाग/पत्रिका के पते भी लगाना शुरु दिये। वह मेरे पाठ का इस तरह हिस्सा था कि उनकी वेबसाइट पर अगर कोई मेरा पाठ खोलेगा तो मेरा नाम और ब्लाग/पत्रिका भी दिखाई देती है और कोई चाहे तो उनको खोल भी सकता है। जब से इस तरह अपने ब्लाग/पत्रिका के पते देने शुरु किये हैं तब से अब पाठ चोरी होना एक तरह से बंद हो गया है।
सबसे बढि़या बात यह है कि मैंने अपना नाम ब्लाग/पत्रिकाओं के साथ अनजाने में जोड़ा थे पर अब उनका लाभ यह दिखाई दे रहा है कि अंतर्जाल के यह हैकर उससे बचना चाहते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि अपनी टिप्पणियों में ब्लाग/पत्रिकाओं में लिख जाते हैं कि प्रसिद्ध ब्लागर हूं-यह मजाक में वह लिखते हैं पर लगता है कि हैकरो ने यह पढ़ा है और इसी डर के कारण अब ऐसी शिकायतें कम हो गयीं हैं।
इन हैकरों ने लव,फ्रेंडस,विकिपीडिया और हिंदी और अन्य अनेक आकर्षक नाम लिखकर अपने वेबसाइट बनायी है। डोमेन पर पैसा खर्च किया पर लिखने के नाम पर पैदल हैं! वह अंतर्जाल पर हिंदी के वैसे ही प्रकाशक बनना चाहते हैं जैसे कि बाहर हैं। उनको लगता है कि ब्लाग लेखक तो एक मजदूर है वैसा ही जैसे कि बाहर होते हैं। यह उनका भ्रम है। अंतर्जाल पर सब वैसा नहीं चलेगा जैसा कि बाहर चल रहा है। वह पाठ लेना चाहते हैं पर नाम नहीं दिखे ऐसा इंतजाम कर लेते हैं तब गुस्सा आना स्वाभाविक है।
एक ब्लाग पर मैं विकिपीडिया का नाम देखकर तो हैरान हो गया और इधर मैं सोच रहा था कि इसकी शिकायत अपने मित्रों से करूं पर मेरी अपनी तकनीकी चालाकी की वजह से वह ब्लाग/वेबसाइट फिर मेरा पाठ लेने नहीं आया। हालांकि उसका लिंक अभी भी मेरे ब्लाग/पत्रिका पर दिख रहा है। हैकरी देखिये कि कोई और लिखे और हम उसका लाभ मुफ्त में उठायें।
इन हैकरों से जूझना भी एक अलग तरह का अनुभव है। कुछ लोगों को मेरे ब्लाग/पत्रिकाओं पर इस तरह अनेक ब्लाग/पत्रिकाओं का पता देखकर हैरानी होती होगी उनको यह बता दूं कि यह केवल हैकरों से मुकाबला करने के लिये है। ऐसे हैकर जो लेखक का न नाम देना चाहते हैं और न नामा! आगे ऐसे हैकरों की संख्या और बढ़ेगी क्योंकि हिंदी में कई लोग अपने अंदर प्रकाशक होने का भ्रम पाल का डौमेन खरीद रहे हैं और ब्लाग के बारे में उनको लगा रहा है कि वह फ्री के हैं और लेखक तो उनकी नजर में फ्री के होते हैं।
इधर मैंने तय कर लिया है कि हिंदी की आधिकारिक साईटों पर ही जाना ठीक रहेगा। किसी समस्या के लिये ब्लाग लेखक मित्रों से पूछना ही ठीक है क्योंकि अंतर्जाल के बारे में अब वह जितना जानते हैं उतना शायद ही कोई जानता हो। इन हैकरों के बारे में उनसे जानकारी मिली तभी मैंने पाया कि कई ऐसे हैकर हैं जो मेरे पाठ ले जा रहे हैं। यहां यह बात बता दूं कि ब्लाग फ्री के जरूर हैं पर उस पर लिखा गया पाठ फ्री का नहीं होता। लेखक भले ही बैठकर लिखता है और उसका वहां भी पसीना बहता है।
कुछ लोग कहते हैं कि अंतर्जाल पर चोरी रोकने के लिये कानून होना चाहिये। यह बात सही है पर ऐसे हैकरों को बता दूं अनेक ऐसे भी कानून हैं जो उनको अपनी इन मूर्खताओं के लिये संकट में डाल सकते हैं।
डौमेन लेने वाले भी चेत जायें। कम से कम जहां मेरा नाम देखें तो अपने यहां से पाठ हटा लें। अगर मेरा पाठ लेते हैं तो मुझे पूर्व सूचना दें। मेरे पाठ केवल मेरे ब्लाग मित्र और हिंदी के ब्लाग दिखाने वाले चार फोरम ही दिखा सकते हैं क्योंकि यह मैंने तय किया है-अन्य का मामला मेरे विचाराधीन है। वैसे मुझे अपने लिखे से न तो पैसे की आशा है न ही अभी ऐसी कोई उत्सुकता है। भगवान का दिया सब कुछ है और सबसे बड़ी बात यह है कि सरस्वती मां की कृपा है पर अन्य ब्लाग लेखक मित्रों का परिश्रम व्यर्थ आते देख मेरा खून खौल उठता है तब प्रतिकार करने का मन होता है। सीधी बात यह है कि अगर आप अपनी वेबसाइट या ब्लाग पर इस तरह दिखाते हैं कि मेरा नाम नहीं दिखता तो इसका मतलब है कि आपकी नीयत ठीक नहीं है और उसका प्रतिकार आपको कभी भी झेलना पड़ सकता है।
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