पल रंग बदलती दुनियां में
रिश्ते भी बदलते हैं रंग
जो सारी उमर साथ चलने का
एलान करते सरेआम
वह कभी नहीं चलते संग
जिनसे फेरा होता है मूंह
वही चल पड़ते है साथ
निभाने लगते हैं बिना वादा किये
चाहे होते है रास्ते तंग
कोई शिकायत नहीं करते
चलते है संग
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किसी एक रंग पर मत दिल लगाना
हर रंग को अपनी आंखें पर आजमाना
किसी रंग का भरोसा नहीं फीका पड़ जाये
जो फीका लगता संभव है वही जीवन चमकाये
इंसानों के भी रंग होते हैं
कभी उनके मन होतेे उजले तो
कभी काले होते हैं
इज्जत करते हैं जो दिखाने की
करते हैं वही बदनाम
कर जाते हैं अपने पैगाम देकर दिल खुश
जो खुश्क जिंदगी जी रहे होते हैं
बनते बिगड़ते हैं रंग और इंसान
किसी एक पर मत दिल न लगाना
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
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