Sunday, December 3, 2017

सपने वादे बाज़ार में महंगे बिकते हैं-दीपकबापूवाणी

कमबख्त हांका लगाकार भीड़ बुला लेते, सपनो का लोलीपाप देकर सुला देते।
‘दीपकबापू’ जज़्बात बिकते बाज़ार में, नकदी लेकर सौदागर वादों में झुला देते।।
--
सपने वादे बाज़ार में महंगे बिकते हैं, वहमी कभी झूठ के सामने नहीं टिकते हैं।
‘दीपकबापू’ लालची जाल में बुरी तरह फंसे, लोग अपनी बदहाली खुद लिखते हैं।।
----
हर दिन नया अफसाना सामने आता है, मतलब से नया याराना सामने आता है।
‘दीपकबापू’ एक इंसान पर दिल नहीं रखते, हर पल नया ख्याल सामने आता है।।
---
सब प्यारे है जग में भीड़ से अलग न्यारे हैं,नज़र डाली सब आंख के तारे हैं।
‘दीपकबापू’ मतलब लोगों का सिद्ध करते रहो, मत मांगों हिसाब अपने सारे हैं।।
----

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकाऐं

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर