Wednesday, December 14, 2011

मोहब्बत और सोहबत-हिन्दी शायरी (mohbbat aur sohbat-hindi shayari)

कुछ लोगों ने ज़िंदगी में
हमेशा ज़ंग की
कुछ ने किया अपनों को
गैर बनाने का गुनाह
कभी समझी नहीं मोहब्बत।
कहें दीपक बापू
उनके अंजाम पर क्या रोना
जिन्होने दौलत में तस्वीर देखी जन्नत
मगर कर ली लुटिया डुबोने वाले
शैतानो से सोहबत।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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