Sunday, September 11, 2011

हिन्दी दिवस पर कविता (hindi diwas or divas par kavita)

हिन्दी में अंग्रेजी के शब्द मिलाकर
मातृभाषा को वह विकास के पथ पर ले जायेंगे,
इसी तरह हर हिन्दी दिवस पर
नये नये तरीके ईजाद करेंगे,
मंच पर खड़े होकर अंग्रेजी में
हिन्दी के लिये सांत्वना संदेश पढ़ेंगे,
कुछ गीत भी संगीत के साथ गुनगुनायेंगे,
इस वादे के साथ
अगले वर्ष फिर हिन्दी दिवस मनायेंगे।
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रास्ते में तेजी से चलता
मिल गया फंदेबाज और बोला
‘‘दीपक बापू तुम्हारे पास ही आ रहा था
सुना है दस सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग लेखक
सम्मान पाने वाले हैं,
ऐसा लगता है हिन्दी के अंतर्जाल पर भी
अच्छे दिन आने वाले हैं,
हो सकता है तुमको भी
कहीं से सम्मान मिल जाये,
हमारा छोटा शहर भी
ऐसी किसी खबर से हिल जाये,
आठ साल अंतर्जाल पर हो गये लिखते,
पहल दिन से आज तक
तुम फ्लाप कवि ही दिखते,
मिल जाये तो मुझे जरूर याद करना
मैंने ही तुम्हारे अंदर हमेशा
उम्मीद जगाई,
सबसे पहले दूंगा आकर बधाई।

सुनकर हंसे दीपक बापू और बोले
‘‘अंतर्जाल पर लिखते हुए अध्यात्म विषय
हम भी हम निष्काम हो गये हैं,
कोई गलतफहमी मत रखना
हमसे बेहतर लिखने वाले
बहुत से नाम हो गये हैं,
हमारी मजबूरी है अंतर्जाल पर
हिन्दी में लिखते रहना,
शब्द हमारी सासें हैं
चलाते हैं जीवन रुक जाये वरना,
मना रहे हैं जिस तरह
टीवी चैनल हिन्दी दिवस
उससे ही हमने प्रसन्नता पाई,
नहीं मिलेगा हमें यह तय है
फिर भी देंगे
सम्मानीय ब्लॉग लेखको को हार्दिक बधाई,
हम तो इसी से ही प्रसन्न हैं
हिन्दी ब्लॉग लेखक शब्द
अब प्रचलन में आयेगा,
अपना परिचय देना
हमारे लिये सरल हो जायेगा,
सम्मान का बोझ
नहीं उठा सकते हम,
उंगलियां चलाते ज्यादा
कंधे उठाते कम,
इसी से संतुष्ट हैं कि
अंतर्जाल पर हिन्दी लिखकर
हमने अपने ब्लॉग लेखक होने की छवि
अपनी ही आंखों में बनाई।
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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