‘आईये भद्रजनो, दुनियां की सबसे खतरनाक बीमारी ‘स्वाईन फ्लू’ का सही तरह से दलाज करने वाली दवाई खरीदे। यह विदेश से आयी है और इसकी दवा भी वहीं से खासतौर से मंगवाई है।’
लोगों की भीड़ जमा हो गयी। वह बोलता जा रहा था-‘यह बीमारी आ रही है। सभी एयरपोर्ट पर पहुंच गयी है। इसे रोकने की कितनी भी कोशिश करो। जब यहां पहुंचे जायेगी तब इसका मिलना मुश्किल होगी। पचास रुपये की शीशी खरीद लीजिये और निश्चित हो जाईये।’
एक दर्शक ने पूछा-‘तपेदिक की दवा हो तो मुझे दे दो! मुझे इस बीमारी ने परेशान किया है। बहुत इलाज करवाया पर कोई लाभ नहीं हुआ।’
‘हटो यहां से! क्या देशी बीमारियों का नाम लेते हो। अरे यह स्वाइन फ्लू खतरनाक विदेशी बीमारी है। तुम अभी इसे जानते नहीं हो।’ वह फिर भीड़ की तरह मुखातिब होकर बोला-हां! तो मैं कह रहा था.....................’’
इतने में दूसरा बोला-‘इसका नाम टीवी पर रोज सुन रहे हैं, पर मलेरिया का कोई इलाज हो तो बताओ। मेरे दोस्त को हो गयी है। वह भी इलाज के लिये परेशान है।’
वह बोला-‘हटो यहां से! देसी बीमारियों का मेरे सामने नाम मत लो।’
वह बोलता रहा। आखिर में उसने अपनी पेटी खोली। लोगों ने दवाई खरीदी। कुछ चलते बने। एक आदमी ने उत्सकुता से उससे पूछा-‘पर यह स्वाईन फ्लू बीमारी होती कैसे है और इसके लक्षण क्या हैं?
उसने कहा-‘पहले दवाई खरीद लो तो समझा देता हूं।’
उस आदमी ने पचास रुपये निकाल कर बढ़ाये और दवाई की शीशी हाथ में ली। उसने अपनी पेटी बंद की और चलने लगा। उस आदमी ने कहा-‘भई, मैंने इस बीमारी के बारे में पूछा था कि यह होती कैसे है और इसके लक्षण क्या हैं? उसका उत्तर तो देते जाओ।’
उसने कहा-‘जाकर टीवी पर सुन लेना। मेरा काम स्वाईन फ्लू की दवाई बेचना है। बीमारी का प्रचार करने का काम जिसका है वही करेंगे।’
वह चला गया और सवाल पूछने वाला आदमी कभी शीशी को कभी उसकी ओर देखता रहा।
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