Tuesday, June 30, 2015

खुशी पैसे से ही आती है-हिन्दी व्यंग्य कविता(khushi paise se hi aatee hai-hindi satire poem)

पेड़ पौद्यों से होता है
स्वच्छ वातावरण
मगर दिल में खुशहाली
पैसे से ही आती है।

अच्छी बातों से 
नहीं भरता पेट
रोटी पैसे से ही आती है।

कहें दीपक बापू गुड़ नहीं  देते
मगर उस जैसी बात
कहने का जिम्मा भी नहीं लेते
इतनी ताकत उनमे
पैसे से ही आती है।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्करग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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