Monday, November 24, 2014

सच्चे भक्त बेपरवाह होते-हिन्दी कविता(sachche bhakta beparavah hote-hindi kavita)



संत के वेश में

ज्ञान के व्यापारी भी

भक्ति के बाज़ार में आते हैं,



दोहे श्लोक और गीत

निकलते वाणी से मधुर स्वर में

शब्द दान में बिक जाते हैं।



कहें दीपक बापू आम भक्त

तलाश करते संसार में

आंनद की तलाश,

ढोंगी हो या सिद्ध

झांकते नहीं किसी के  अंदर जाकर

जानते हैं जो सत्य पथ

अपनायेगा वही योगी

भोगी का होगा नाश,

पेशेवर चिंत्तकों की

परवाह नहीं

जो उनको मूर्ख समझते

कभी कभी बहस में

शुल्क लेकर सस्ते में बिक जाते हैं।
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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप
लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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