जिस तरह बुद्धिमान लोग
करे रहे हैं अगडम-बगडम बातें
उससे तो लगता है कि
बंधुआ मजदूरों का युग गया
तो बंधुआ बुद्धिमान का युग आ गया है
मुश्किल यह है कि
बंधुआ मजदूरों की मुक्ति के लिए तो
इनका इस्तेमाल किया जा सकता है
पर इनके लिए कोई लडेगा
इसमें शक लगता है
बडे-बडे आदर्शों की बातें
तरह-तरह की विचारधारा की
गरीबों में बांटे सौगातें
'वाद' और नारों से भरे बस्ते
आंदोलन के जरिये पूरी दुनिया में
इन्कलाब लाने का ख्याली पुलाव दिखाते
पुराने देवी-देवताओं के नाम पर
नाक-भौं सिकोड़ जाते
लक्ष्यहीन चले जा रहे हैं
मार्ग का नाम नहीं बताते
एक शब्द से अधिक कुछ जानते हैं
इसमें शक लगता है
पुराने संस्कार में ढूंढते दोष
जिसके पाले में घुस जाएँ
उसी की बजाते
एक दिन किसी बात को अच्छा
दूसरे दिन ही उसमें खोट दिखाते
कहीँ दीपक बापू
इस रंग बदलती दुनिया में
कैसे-कैसे नजारे आते हैं
बंधुआ बुद्धिमानों की मुक्ति का
मार्ग ढूँढना तो दूर सोचना भी मुशिकल
जिसकी सेवा में हौं उसके दास बन जाते हैं
इनकी मुक्ति का प्रयास जो करते हैं
उनके लिए मुश्किल पैदा कर जाते हैं
लार्ड मैकाले ने जो बीज बोए
उसकी शिक्षित गुलामों की
फसल सब जगह लगी पाते हैं
--------------------------------
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
-
रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
---
हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago
No comments:
Post a Comment