अपनी हिन्दी भाषा में लिखते जाओ
कतरनों में लिखे आंकड़ों पर
अपनी दृष्टि मत लगाओ
लिखो कहानी, कविता और व्यंग्य
और लोगों को पढ़ाते जाओ
और दूसरे का लिखा भी पढते जाओ
हिन्दी की दशा कहीं शोचनीय नहीं है
तुम्हार लिखे से वह अंतर्जाल पर
चमक रही है
जिन्हें पढ़ना है वह खुद आएंगे
तुम अपनी रचनाएं
कहीं डालने मत जाओ
अपने ब्लोग पर डटे रहो
हमने देखा है हिन्दी के पाठक
दूर-दूर से उसे पढने आते हैं
हमारी पीठ थपथपाते हैं
लोगों के बहकावे में मत आओ
यहाँ लिख और वहां दिख जैसे
नारों पर न करो दृष्टिपात
आंकडे हमें झूठ बोलने और भ्रम का
जाल फैलाने के लिए रचे जाते हैं
ताजमहल खड़ा है वहीं पर
बाजार में उसे भी दौड़ता दिखाते हैं
तुम हिन्दी में हास्य-व्यंग्य के दीपक
जलाते जाओ
कबाड़ से निकली कतरन में तो
बस अँधेरे दिखाए जाते हैं
जहाँ नहीं है रोशनी की जरूरत
वहीं अग्नि जलाए जाते हैं
पर सत्य यह है अपने घर की रोशनी से
मेहमानों को को खुश कर पाते हैं
तुम अपनी मातृ भाषा हिन्दी को
अपने ही घर में समृद्ध किये जाओ
---------------------------
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
-
*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
No comments:
Post a Comment