बेटे ने माँ-बाप से कहा
'बडा होकर में शिक्षक बनूंगा
सब बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर
आप का नाम रोशन करूंगा'
माँ घबडा कर रोने लगी
बाप ने बेटे को समझाया
' बेटा यह बेकार ख़्याल कैसे
तुम्हारे मन में आया
कहीं तुम्हारे स्कूल के टीचर
तुम्हें बहका तो नहीं रहे
खुद को हैं उनको रोटी के लाले
कहीं तुम्हें भी दरिद्रता की
आग में तो नहीं झोंक रहे
कल मैं तुम्हारे स्कूल जाकर
प्रिंसिपल से बात करूंगा'
माँ को फिर भी चैन नही आया
और बोली
'इसे किसी अच्छे डाक्टर को दिखाओ
मैंने इसके लिए देखें है कैसे सपने
नही सुन सकती इसके यह शब्द
कि मैं भी टीचर बनूँगा'
बाप ने डाक्टर को दिखाया
उसने दवाई लिखकर कहा
'चिन्ता की कोई बात नही
आपका बच्चा ठीक जो जाएगा
ऐसा मैं इलाज करूंगा'
कुछ दिन बाद बच्चे ने कहा
'मैं स्कूल का प्रिंसिपल बनूंगा'
बाप उसे डाक्टर के पास ले गया
और बोला
'आपके इलाज का फायदा हो रहा है
बच्चा ठीक हो रहा है पर
इसे कुछ और आगे बढ़ाईये
कालिज के लेवल तक लाईये
मैं आपका अहसान नहीं भूलूंगा'
कुछ दिन इलाज के बाद बच्चा बोला
'ना टीचर बनूँगा न प्रिंसिपल
मैं तो अपने की स्कूल और कालेज खोलकर
उसका डाइरेक्टर बनूंगा
अपने ही बनवाऊंगा मंहगे होस्टल
सबसे महंगी फ़ीस रखूंगा
सस्ती किताबे बेचूंगा मंहगे भाव
स्कूल और कालेज पर आपका नाम लिखूंगा'
माँ-बाप बहुत खुश हुए और
डाक्टर को दिया धन्यवाद और फ़ीस
और उसे बताया कि स्कूल और कालिज के
विचार से तो वह निकल नही पाया
पर अब डाइरेक्टर बनने के सोचता है
और कहता है कि
'में शिक्षक नही बनूंगा। '
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
-
रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
---
हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago
No comments:
Post a Comment