‘यह मेरे साक्षात्कार का बेकार नाटक रचाया।
तुम सवाल करते हुए
जवाब भी बताकर
उसे दोहराने को मजबूर करती थी,
जब अपनी बात कहता तो
ब्रेक लगाकर दूर कर देती थी,
तुम्हारे सवाल मेरे जवाब से लंबे थे
मैं सवाल समझता तुम
जवाब वैसे ही भर देती थी,
यह कार्यक्रम देखकर लोग तुम्हें ही
याद रखेंगे,
मुझे भूल जायेंगे,
लोग इसे देखकर
मुझ पर हंसने लग जायेंगे
इस कार्यक्रम में तो तुमने
मुझे एक तरह से आइटम कवि बनाया।
यह सुनकर एंकर को गुस्सा आया।
वह बोली
‘काहे के कवि हो
पता है ब्लाग पर तुम्हारी
हास्य कविताऐं फ्लाप हो जाती है
मैंने भी पढ़ी
पर समझ में नहीं आती हैं।
आधी रात को प्रसारित होने वाले
इस कार्यक्रम के लिये
कोई आइटम नहीं मिल रहा था
इसलिये तुमको बड़ा कवि बताया।
यह चैनल कोई तुम्हारा मंच नहीं है
इस पर करोड़ों का खर्च आया।
फिर तुम्हें मालुम नहीं है कि
कमाई से ही होता है सम्मान
मैं अपने कार्यक्रम के लिये
इतना पैसा लेती हूं
तो प्रचार भी मुझे ही मिलेगा
तुम जैसे फोकट के कवि का चेहरा दिखाकर
हमारा नाम कार्यक्रमों की तुलनात्मक दौड़ में गिरेगा
कवि हो इतना भी नहीं जानते
महिलाओं से हिट्स होते हैं कार्यक्रम
तुम जैसे कवियों को लोग फालतू मानते
अब जाकर पी लेना
कैंटीन में काफी
वरना वह भी खत्म हो जायेगी
फिर न कहना पहले नहीं बताया।
तुम्हारे साक्षात्कार से
न तो कोई सनसनी फैलेगी,
न जमेगी हंसी की महफिल,
हमारी पब्लिक इसे कैसे झेलेगी,
पता करूंगी इस चैनल में
कौन उल्लू है
जो तुम्हें यहां ले आया।
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2 comments:
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वाह !
अच्छी खाल उतारी साहेब ...................
बधाई !
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