बेटे ने माँ-बाप से कहा
'बडा होकर में शिक्षक बनूंगा
सब बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर
आप का नाम रोशन करूंगा'
मन घबडा करो रोने लगी
बाप ने बेटे को समझाया
' बेटा यह बेकार ख़्याल कैसे
तुम्हारे मन में आया
कहीं तुम्हारे स्कूल के टीचर
तुम्हें बहका तो नहीं रहे
खुद को हैं उनको रोटी के लाले
कहीं तुम्हें भी दरिद्रता की
आग में तो नहीं झुक रहे
कल मैं तुम्हारे स्कूल जाकर
प्रिंसिपल से बात करूंगा'
माँ को फिर भी चैन नही आया
और बोली
'इसे किसी अच्छे डाक्टर को दिखाओ
मैंने इसके लिए देखें है कैसे सपने
नही सुन सकती इसके यह शब्द
कि मैं भी टीचर बनूँगा'
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
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3 years ago
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