हिन्दी दिवस के पूर्व संध्या पर चंडूखाने से यह खबर आई अंतरजाल से हिन्दी में नहीं रहा साधुवाद शुरू करो गालीवाद इसे में हैं भलाई कहैं दीपक बापू क्या करें हम गुरुओं से सरल, सुबोध और मधुर शब्दों में हिन्दी रचना करने के शिक्षा हमने पाई हमसे तो यह नहीं हो पायेगा फ्लाप रहना मंजूर है तुमने पहले पोस्ट में ही हिट पाई कल तक मूँह छिपा रहे थे चौपालोन से जाने में कतरा रहे थे आज हमने छिपकर की पढ़ाई हमने तो तुलसी, सूर,मीरा और कबीर को खूब पढ़ा है इसलिये ऐसी हिम्मत नहीं पायी तुलसी महाराज के प्रेरणा से दुष्टों से व्यवहार के किये छद्म ब्लॉग की माया हमने भी रचाई पर गाली लिखने के हिम्मत फिर भी नहीं आयी सोचता हूँ तुम पर फब्तियान कसून या दूँ हिट पर बधायी पर कह गये तुलसी दोष जो देखें दूसरों में उनसे दूर रहो भाई
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