कमबख्त हांका लगाकार भीड़ बुला लेते, सपनो का लोलीपाप देकर सुला देते।
‘दीपकबापू’ जज़्बात बिकते बाज़ार में, नकदी लेकर सौदागर वादों में झुला देते।।
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सपने वादे बाज़ार में महंगे बिकते हैं, वहमी कभी झूठ के सामने नहीं टिकते हैं।
‘दीपकबापू’ लालची जाल में बुरी तरह फंसे, लोग अपनी बदहाली खुद लिखते हैं।।
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हर दिन नया अफसाना सामने आता है, मतलब से नया याराना सामने आता है।
‘दीपकबापू’ एक इंसान पर दिल नहीं रखते, हर पल नया ख्याल सामने आता है।।
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सब प्यारे है जग में भीड़ से अलग न्यारे हैं,नज़र डाली सब आंख के तारे हैं।
‘दीपकबापू’ मतलब लोगों का सिद्ध करते रहो, मत मांगों हिसाब अपने सारे हैं।।
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